नई दिल्ली | देश में बहुत सारे लोगों का यह मानना कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू होने से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का सपना साकार हुआ है। सही मायने में यह सपना उन्होंने ही देखा था। जब वर्ष 1986 में रामलला के पूजन हेतु सालों से बंद पड़े मंदिर का ताला खुलवाकर मंदिर का शिलान्यास कराते हुए इसकी शुरुआत की थी। बेशक राजनीति के तहत ही लेकिन राजीव चाहते थे कि देश में इस झगड़े का अंत हो और देश के बहुसंख्यकों को उनका धार्मिक व सांस्कृतिक अधिकार मिले। विदित है कि बाबरी विध्वंश के समय भी केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी और प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव थे।
दरअसल अयोध्या की विरासत जितनी पुरानी है उतना ही पेंचीदा इसकी जमीन पर उठा विवाद रहा है। वो विवाद जिसने हिंदुस्तान की राजनीति में धर्म के लिए जगह पुख्ता की लेकिन अयोध्या को इसका नुकसान ही उठाना पड़ा। अगर धर्म ने रास्ता सुझाया होता तो मंदिर-मस्जिद के विवाद को सुलझने में इतना लंबा समय नहीं लगता। दरअसल अयोध्या को लेकर राजनीति का राग नया नहीं था। इस राग को लेकर दंगे फसाद की तमाम तरह की घटनाओं को देश ने झेला है । ये पूरा विवाद सबसे तीखा मोड़ लेता है 1980 के दशक में जब वीएचपी की धर्मसंसद में राम मंदिर बनाने का प्रण होता है।
इसके ठीक दो साल बाद एक अदालती आदेश आता है जिसमें फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने मंदिर का ताला खोलने का आदेश सुनाया और वहां पहले की तरह हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत तो मिल गई। लेकिन सियासत ने एक और करवट ली और नवंबर 1989 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए संघर्षरत हिंदू संगठनों को विवादित स्थल के पास शिलान्यास की इजाजत दे दी। लेकिन राजीव गांधी के इस एतिहासिक दांव को उनके असमय मृत्यू के बाद कांग्रेस कभी भी अपनी तरफ मोड़ पाने के लिए सक्रिय नहीं दिखाई पड़ी।
यही वो सबसे बड़ा कारण है कि अयोध्या के विवादित स्थल पर मूर्ति रखने व बाबरी का ताला खुलवाने से लेकर राम मंदिर का शिलान्यास और मस्जिद का विध्वंस तक कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए होने के बावजूद भी आखिर राममंदिर का क्रेडिट कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी के नाम है। क्योंकि भाजपा ने अपने आपको इस मुद्दे से जोड़े रखकर इसे देश की आस्था का मुद्दा बनाया और उसके बाद सिंघल-आडवाणी-जोशी और वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी, उमा भारती, गोविन्दाचार्य और कटियार जैसे नेताओं के साथ बीजेपी ने सम्पूर्ण मंदिर आंदोलन को अपनी सियासी धारा में साधा। जिसका प्रतिफल है कि आज बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर देश की सत्ता पर भी काबिज है और देश को राम मंदिर के रुप में एक बड़ी सौगात मिलने जा रही है।