क्या बोले केसी त्यागी राजनीति में कोई किसी का परमानेंट दुश्मन नहीं होता, मतलब साफ नीतीश जायेंगे बीजेपी के साथ।
क्या ललन सिंह और मंत्री विजेन्द्र यादव करेंगे वगावत, जदयू में टुट तय।
श्यामा नन्द मिश्र | मधुबनी
राजनीति में कोई न तो परमानेंट दोस्त होता है न दुश्मन। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के सी त्यागी ने अपने वयान में यह संकेत दे दिया है कि भाजपा हमारी मित्र पाटीं है दुश्मन थोड़े है। राजनीति में मतभेद होता है मन भेद कहां होता।
मतलब साफ है कि नीतीश कुमार का अब अगला कदम क्या होगा। नीतीश भाजपा के साथ जायेंगे। भाजपा के कुछ नेता भले हीं नीतीश के लिए भाजपा का दरवाजा बंद होने की बात करते हो लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है बस यह दिखाबा भर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पलक बिछाये नीतीश कुमार के आने का इंतजार कर रहे हैं। नीतीश भी अब मोदी के फोन का इंतजार में हैं। देखिए नीतीश का राजनीतिक खेल तभी तो लोग कहते हैं कि नीतीश की राजनीति को समझना आसान नहीं है।
ये घटनाक्रम अचानक नहीं कई माह से चलता आ रहा है लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। पहले सम्मान के साथ ललन सिंह का इस्तीफा लिया गया और उन्हें स्वयं नीतीश कुमार ने कहा ललन बाबू पाटीं को आपकी बहुत जरुरत है आप मदद करते रहिएगा। जब कमान नीतीश के हाथ में आ गया तो खेल शुरू हो चुका है। भाजपा के साथ जाने में ललन सिंह रोड़ा बने हुए थे उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते यह संभव नहीं था कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ जा पाते। अगर जाते तो पाटीं में टुट तय था जिसकी तैयारी कर ली गई थी।
लोग कहते हैं कि नीतीश कुमार मानसिक रूप से बीमार चल रहे हैं अगर सही में वे बीमार रहते तो जिस चतुराई से उन्होंने सांसद विधायक को समझाया फिर मीटिंग बुलाई और ललन सिंह से इस्तीफा दिलाया और अपने कमान संभाल लिए क्या कोई बीमार आदमी कर सकता है, कभी नहीं। एक हीं साथ नीतीश ने लालू ललन सिंह और इंडिया गठबंधन के नेताओं को सबक सिखा दिया कि नीतीश से टकराना महंगा पड़ेगा। अभी नीतीश ने टेलर दिखाया है पिक्चर आना बाकी है जो जल्द दिखेगा। भाजपा और राजद दोनों को एक साथ साधने की कोशिश उन्होंने कर दी। कल की बैठक में उन्होंने एक शब्द भाजपा के बारे में नहीं बोले लेकिन कांग्रेस को कम शब्दों में खरी खोटी जरुर सुना दी।
इससे स्पष्ट है कि वे मन बना चुके हैं कि भाजपा के साथ साथ मिलायेंगे। लोगों का तो यहां तक मानना है कि नीतीश कुमार का भाजपा के साथ डील हो चुका है। इधर ललन सिंह और बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव जो नीतीश के इस फैसले के खिलाफ माने जाते हैं देखना है कि पार्टी में ये लोग क्या गुल खिलाते हैं।
नीतीश ऐसा खेला एक बार नहीं कई बार कर चुके हैं इसीलिए इन्हें लोग पलटी राम भी कहा करते हैं। जिस नाटकीय ढंग से ललन सिंह से इस्तीफा लिया गया है पहले भी जार्ज फर्नांडिस शरद यादव और आरसीपी सिंह के साथ हो चुका है। नीतीश पर कोई फर्क अभी तक नहीं पड़ा देखिए आगे क्या क्या होता है। फिलहाल नीतीश कुमार ने पूरे देश के नेताओं की धड़कनें बढ़ा दी है। लालू प्रसाद यादव ने तो चुप्पी साध ली है।