विश्व शांति के दूत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, कर्म के पुजारी पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री और मैथिली के मूर्धन्य साहित्यकार काशी कांत मिश्र “मधुप” की जयंती पर बुधवार को विद्यापति सेवा संस्थान ने कृतज्ञ नमन किया। मौके पर इन विभूतियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि राष्ट्रपिता बापू ने सादगी, सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर जहाँ देश की आजादी के आंदोलन में अपनी ऐतिहासिक और निर्णायक भूमिका निभाई वहीं शास्त्री जी ने युद्ध के कठिन हालात में देश का नेतृत्व संभालते हुए देशवासियों को जय जवान−जय किसान का प्रेरणादायी नारा देकर देश के सभी नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना का अभूतपूर्व संचार किया। इसी तरह मैथिली साहित्य जगत की अपनी रचनाओं से श्रीवृद्धि करने वाले मधुप जी हमेशा याद किए जाते रहेंगे।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमला कांत झा ने कहा कि दो अक्टूबर का दिन भारत और मिथिला के लिए काफी खास मायने रखता है। क्योंकि इस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और मिथिला के लाल मधुप जी के रूप में भारत व मिथिला के तीन ऐसे महान लोगों ने जन्म लिया, जिन्होंने देश, समाज और साहित्य को नया जीवन और नई पहचान दी। संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ बुचरू पासवान ने कहा कि सादा जीवन और उच्च विचार रखने वाले इन तीनों महापुरुषों ने दुनिया को जता दिया कि अगर इंसान के अंदर आत्मविश्वास हो तो कोई भी मंजिल बड़ी ही सहजता से हासिल की जा सकती है।
प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि महात्मा गांधी यदि त्याग और बलिदान की मूर्ति थे, तो सादा जीवन-उच्च विचार शास्त्री के जीवन का आदर्श था। वहीं मातृभूमि एवं मातृभाषा के प्रति विशेष अनुराग को लेकर मधुपजी आम जनमानस में सदैव प्रेरणा के स्त्रोत बने रहेंगे। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि अहिंसा और सादगी गांधी व शास्त्री के व्यक्तित्व के विशिष्ट अलंकार थे। वहीं साहित्य के माध्यम से समाज को आईना दिखाने में आजीवन लगे रहने वाले मधुप की रचनाएँ आज भी आमजन को एक गौरवशाली जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। साहित्यकार डॉ महेन्द्र नारायण राम ने गांधी, शास्त्री व मधुप को सादगी की प्रतिमूर्ति बताते हुए उनकी जयंती पर उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लेने का आह्वान किया।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि गांधी, शास्त्री व मधुप-तीनों महापुरुषों ने अपने जीवन में कई बहुमूल्य आदर्श स्थापित किए हैं। गांधी ने यदि सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया तो शास्त्री ने हमें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता के साथ जीवन जीने की कला सिखाई। वहीं, मधुप की रचनाएं मैथिली साहित्य की अनमोल धरोहर हैं। महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा ने कहा कि तीनों शख्सियतों ने सादा जीवन-उच्च विचार की जीवंत मिसाल कायम करते हुए आदर्श रूप स्थापित किया। मौके पर डा महानंद ठाकुर, विनोद कुमार झा, प्रो चन्द्रशेखर झा बूढ़ाभाई, आशीष चौधरी, दुर्गानंद झा, पंकज कुमार ठाकुर, गिरधारी झा, दिनेश झा, पुरुषोत्तम वत्स, मणिभूषण राजू आदि ने भी तीनों महापुरुषों को कृतज्ञ नमन किया।