हरलाखी में जदयू के लिए मुश्किल भड़ा होगा आगामी विधानसभा चुनाव। विधायक सुधांशु शेखर से बेहद नाराज़ हैं मतदाता। भाजपा जदयू में यहां भी कोई खास नहीं है समन्वय। राजद का बहुत कमजोर है हरलाखी में जनाधार। भाजपा जदयू के गठबंधन होने से सुधांशु शेखर बनते रहे हैं यहां से विधायक। लेकिन यहां के लोग बताते हैं कि विधायक अपना विकास जरूर किए हैं लेकिन क्षेत्रीय विकास की कभी चिंता इन्होंने नहीं की । नतीजा है कि हरलाखी विधानसभा भी विकास से कोसों दूर है। इस क्षेत्र में सड़कों की स्थिति जरूर पहले से अच्छी हुई है लेकिन इसमें विधायक का कोई खास योगदान नहीं है। तकरीबन ये दस वर्षों से यहां विधायक हैं लेकिन इनके द्वारा कोई ऐसा काम नही कराया गया जिसे यहां के मतदाता गिना सकें।
जातीय गोलबंदी और भाजपा के बल पर यहां जदयू की जीत जरूर होती रही है। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में इस बार यहां की लड़ाई जदयू के लिए मुश्किल भड़ा होने वाला है। जहां तक जातीय समीकरण की बात है तो हरलाखी में सर्वाधिक संख्या बाह्मण अति पिछड़ा और मुसलमानों की है। यादव कुशवाहा दलित और भूमिहार समाज की भी अच्छी खासी संख्या है। जात-पात का खेल हरलाखी में भी चलता आ रहा है और इसी खेल के बल पर सुधांशु शेखर विधायक बनते रहे हैं। जहां तक विकास की बात है तो यहां हर वर्ष बाढ़ के कारण भारी तबाही मचती है। सैकड़ों गांव पानी में डूब जाते हैं और जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। अधवारा समूह की नदियों का कहर हरलाखी विधानसभा में भी करोड़ों का नुक़सान कर जाता है। शिक्षा का हाल ये है कि इस क्षेत्र में एक भी अभीभूत महाविद्यालय नहीं है। स्कूली शिक्षा का खस्ता हाल तो है हीं स्वास्थ्य सुविधा का इस क्षेत्र में घोर अभाव है। रोजगार और पलायन बड़ी चुनौती बन चुकी है। किसानों खेतीहर मजदूरों की माली हालत चिंतनीय है। रोजगार के कोई साधन नहीं रहने से यहां के लोगों में सर्वत्र निराशा की स्थिति व्याप्त है। भ्रष्टाचार मधवापुर और हरलाखी दोनों प्रखंड में सर चढ़कर बोलता है। आपराधिक वारदातें भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है नतीजा है कि इस सीमावर्ती क्षेत्र में शराब के साथ अवैध धंधा खुलेआम होने की चर्चा होती रहती है। सीमावर्ती क्षेत्र होने और विधायक की उदासीनता से पुलिस प्रशासन की इस क्षेत्र में खूब चांदी कटती है। नीचे से लेकर उपर तक पदाधिकारी कर्मचारी और पुलिस निरंकुश बनकर काम करते हैं जैसा कि यहां के लोग बताते हैं। हरलाखी विधानसभा में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक है जो अब दम तोड़ रहा है। इस क्षेत्र का भूगोल भी परिसीमन के बाद बिल्कुल बदल गया है। हरलाखी विधानसभा के साथ बासोपट्टी प्रखंड था जिसे हटाकर मधवापुर को जोर दिया गया है जो पहले बेनीपट्टी के साथ था। यहां कांग्रेस और भाकपा के बीच खुनी संघर्ष विधायक बनने के लिए वर्षों तक होता रहा जिसे आज भी लोग नहीं भूला पाए हैं। जो भी हो हरलाखी विधानसभा क्षेत्र में चारों ओर निराशा है कोई भी तबका विधायक से खुश नहीं दिख रहे हैं। आगामी विधानसभा सभा में पिता वसंत कुशवाहा के विरासत को संभाल रहे विधायक सुधांशु शेखर के सामने एक तरफ खाई तो दुसरी ओर गढ्ढा दिखाई दे रहा है। मतलब राजद और जन सुराज जो तेजी से इस विधानसभा में पांव फ़ैला रहा है इसके सामने जदयू विधायक सुधांशु शेखर को घुटने टेकना पड़ सकता है। होगा क्या यह तो समय बताएगा लेकिन क्षेत्र में विधायक के प्रति लोगों की नाराजगी देखने लायक है।