सरकार के लिए गले का हड्डी बनता जा रहा बिजली विभाग का प्रीपेड मीटर और जमीन का सर्वे। आगामी विधानसभा चुनाव तक अगर इसमें सुधार या बदलाव नहीं हुआ तो जदयू भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। सम्पूर्ण बिहार में ये दोनों विषय एक बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है। उपभोक्ता बताते हैं कि प्रीपेड मीटर युनिट नहीं आग उगल रहा है अनाप शनाप बिल आने से बिहार के लोग परेशान हैं। कोई भी ऐसा जिला नहीं जहां बेतहाशा बिल आने से लोग धरना प्रदर्शन और शिकायत नहीं कर रहे हैं। ताज्जुब इस बात की है जो लोग प्रीपेड मीटर नहीं लगाना चाहते हैं तो उनके साथ विभाग या ठेकेदार के लोग मारपीट भी करने पर उतारू हो जाते हैं। इतना हीं मनमानी ऐसा की एक घर के कारण पूरे गांव का बिजली काट कर चले जाते हैं। बार बार शिकायत और धरना प्रदर्शन के बाद भी न तो विभाग और न सरकार विद्युत उपभोक्ताओं की बात सुनने को तैयार है। मधुबनी में भी इसको लेकर उपभोक्ता सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। कहां गरीब लोग फ्री बिजली जलाने के लिए सरकार की फरमान का इंतजार कर रहे थे वहां इन्हें अपमान और लाठी खाना पड़ रहा है। आए दिन प्री पेड मीटर और ज्यादा बिल आने को लेकर हंगामा की खबरें सुर्खियों में रहती है। लेकिन राज्य सरकार और बिजली विभाग तानाशाही रवैया पर उतारू मधुबनी के मधवापुर प्रखंड के राहुल झा इसी विवाद घायल होकर इलाज करा रहे हैं । बिजली विभाग के कर्मचारी भी जगह मारपीट का शिकार हो रहे हैं। प्रीपेड मीटर से आ रहे बेतहाशा बिल में सुधार के लिए सरकार और बिजली विभाग को सोचना होगा नहीं तो हालात बिगड़ सकते हैं। इसी तरह जमीन सर्वे को लेकर बिहार के गांव गांव में अफरातफरी मचा हुआ है। राजस्व कर्मचारी इस समय किसी डीएम से कम पावर में नहीं है। लोग जानकारी के अभाव में जहां तहां भटक रहे हैं।अंचल से लेकर पंचायत का चक्कर काट रहे हैं। जिला मुख्यालय और सर्वे आफिस में भी भारी भीड़ उमड़ रही है।देश के कोने कोने में रहने वाले बिहार के लोग लोग सर्वे होने की बात सुनकर भागे भागे गांव आने लगे हैं । हर गांव में अचानक दलाल उत्पन्न हो गया है जो जमीन मालिक से जानकारी नहीं रहने कारण जमकर रूपया ऐंठ रहे हैं। कहीं कहीं तो ये दलाल और कर्मचारी भू स्वामी से मोटी रकम भी चमका देकर ऐंठ रहे हैं। भूस्वामी को नहीं पता कहां क्या जमा करना है और सरकार का ज़मीन को लेकर क्या फरमान आया है। ये परदेशी आसानी से इन दलालों के जाल में फंसकर हजारों रुपए गंवा रहे हैं। ये दलाल जिन्हें कुछ भी नहीं पता काम करा देने का ठेका ले रखा है। जबकि सरकार का स्पष्ट आदेश है कि इसमें दो या तीन फार्म है बस उसे भरकर जमा करना है। सरकार और प्रशासन शख्त जरूर है लेकिन गांव में चहलकदमी कर रहे दलाल और कर्मचारी सुनने को तैयार नहीं है। यह भी सच है कि आज बिहार में जो घटनाएं घट रही है उसके केन्द्र में जमीनी विवाद हीं है। एक तरफ लोग भू माफिया से परेशान हैं तो दूसरी ओर सर्वे से लोगों का जीना हराम हो गया है। जहां जाइए एक हीं चर्चा सुनाई देती है कि सर्वे काम में व्यस्त हैं। लोग गांव से डर के मारे टस से मस नहीं हो रहे हैं। सरकार को या तो सर्वे कार्य को रोक देना चाहिए या फिर इसे और सरल बना देना चाहिए ताकि भोले भाले लोग दलालों के चंगुल में फंसने से बच जाय। अगर ऐसा नहीं हुआ तो देखते हीं देखते ये दलाल और कर्मचारी शराब माफिया की तरह करोड़ पति बन जायेंगे। जो भी हो जानकार बताते हैं कि प्रीपेड मीटर और जमीन सर्वे कार्य सरकार को ले डूबेगा । हालांकि सर्वे कार्य रोकने के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर हो चुका है। पता नहीं मुख्यमंत्री इस पर क्यों नहीं एक्शन ले रहे हैं। बिहार में सिस्टम ही भ्रष्ट है तो इन दलालों कर्मचारियों और अधिकारियों को किसका डर सतायेगा। जो भी हो शहर से लेकर गांव तक लोग सर्वे को लेकर परेशान हीं नहीं बैचैन हैं।