बिहार में मुसलमानों की 18 प्रतिशत आबादी के बाद में जिस तरह का मुसलमानों बीच हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो अकलियतों के दम भरते है। राजनीति में जिन्हें कुर्सी मिला जो दिन रात नीतीश कुमार का माला जपते हैं उन्होंन कभी भी बिहार के मुस्लिम लीडरान या मुस्लिम विधायक कभी भी चाहे जिस पार्टी में हों ये कहने नहीं गए कि आप को मुस्लिम का वोट मिलता है आप ने 15 साल लालू राबड़ी की हुक़ूमत हो या 18 साल 6 माह नीतीश कुमार की हुकूमत आप ने सिर्फ लॉली पॉप दिखाने के सिवा और किया दिया आज मुसलमानों का नौकरी प्रतिशत घटता जा रहा है।
चलिए हम इसलामपुर के उन सरकारी दफ्तरों लगे बोर्ड को दिखासते है सबसे पहले नगर परिषद का नाम उर्दू गायब है इसलामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से उर्दू गायब खुदागंज थाना से उर्दू गायब है साउथ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड का नाम उर्दू में नहीं लिखा गया है।
जबकि सरकार का स्पस्ट आदेश है कि हिंदी के साथ साथ उर्दू में भी सरकारी दफ्तर का नाम लिखा जाए क्योंके बिहार में बिहार की दूसरी भाषा है लेकिन नीतीश कुमार के बेलगाम सरकारी अधिकारी कहाँ किसी की सुनते है सिर्फ अपने मन का करते है वो भी हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गिरिह जिले नालन्दा में वाकी जिलों क्या हाल होगा ये आप खुद समझ् सकते है।