पांचवें चरण में कौन किस पर भारी किसकी नैया डूब रही है और कौन मारेंगे बाजी। पांचवें चरण का मतदान तो बिहार भाजपा की नींद उड़ा दी है। सभी पांच सीटों हाजीपुर मुजफ्फरपुर सारण सीतामढ़ी और मधुबनी में मामला फंसता हुआ दिख रहा है। सच्चाई तो यह है कि महागठबंधन को इस चुनाव में खोने के लिए कुछ नहीं है लेकिन एनडीए का पसीना बिहार में जरूर बह रहा है। अब सबसे पहले हम हाजीपुर की बात कर लेते हैं। मतदान के बाद जो फिडबैक हाजीपुर से आ रहा है उसमें चिराग पासवान जीत तो रहे हैं लेकिन बहुत मुश्किल से। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पिता स्व राम बिलास पासवान के नाम पर चिराग यह सीट निकाल लेंगे तो समझिए गणिमत है। यहां राजद प्रत्याशी शिव चन्द्र राम चिराग को कड़ी टक्कर देते दिख रहे हैं। चुनावी गणित तो हाजीपुर का यही कह रहा है कि चिराग कोई रिकार्ड नहीं बनाने जा रहे हैं। कारण है कि दियरा सहित कई विधान में शिव चन्द्र राम चिराग से आगे हैं । हाजीपुर में न तो कोई लहर था और न कोई हवा।सारण में लालू प्रसाद की बेटी राजद प्रत्याशी रोहिणी आचार्य चुनाव में बाजी मारते दिख रही है। हालांकि राजीव प्रताप रूडी और रोहिणी आचार्य के बीच कांटे का मुकाबला हो गया है। यहां रोहिणी नहीं लालू प्रसाद स्वयं चुनाव का कमान संभाल रहे थे। राजीव प्रताप रूडी को कम आंकना सही नहीं होगा उन्होंने रोहिणी को मजबूत टक्कर दिया है। लेकिन सारण लोकसभा सीट से रोहिणी आचार्य को जनता ने इस बार आशीर्वाद दे दी है जैसा कि लोग बता रहे हैं। राजीव प्रताप रूडी अगर हार जाते हैं तो यह हार सिर्फ रूढ़ी की न होगी इसमें मोदी का नाम भी शामिल रहेगा। जातीय गोलबंदी और उनके प्रति आमजनों की साहनभूति रोहिणी के चेहरे पर मुस्कान ला सकता है। हालांकि मतदान के समय से लेकर अभी तक छपड़ा में बवाल मचा हुआ है वहां एक राजद नेता को मौत के घाट उतार दिए गए हैं। मुजफ्फरपुर में फिर कमल खिलने जा रहा है। भाजपा से कांग्रेस में आए अजय निषाद को एंटी इनकबेसी इस बार ले ले डूबेगा। शहरी क्षेत्र के मतदाता और सहनी समाज ने निवर्तमान सांसद का पूरी तरह खेल बिगाड़ दिया है यहां दोनों प्रत्याशी दल बदल कर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी राजभूषण को सहनी वोट उम्मीद से ज्यादा मिल गया है तो भूमिहार समाज ने कमाल कर दिया है। मुजफ्फरपुर लोकसभा में भाजपा की जीत पक्की कही जा सकती है। जहां तक सीतामढ़ी लोकसभा की बात है तो यहां का चुनावी जंग दिलचस्प हो गया था । जदयू प्रत्याशी देवेश चंद्र ठाकुर और राजद प्रत्याशी अर्जुन राय के बीच कांटे का मुकाबला तो अंत तक दिखा । लेकिन वैश्य वोटरों की नाराजगी और कुशवाहा वोटों में विभाजन देवेश चंद्र ठाकुर की नैया डूबा सकती है। माई समीकरण सीतामढ़ी में अर्जुन राय के पक्ष में सर चढ़कर बोलता दिखा। इतने लोकप्रिय नेता रहते हुए देवेश चंद्र ठाकुर का कमजोर चुनाव प्रबंधन जदयू की हार का कारण बन सकता है। सीतामढ़ी में जीत हार का अंतर मामूली मतों से होने जा रहा है। कुल मिलाकर सीतामढ़ी लोकसभा में राजद प्रत्याशी अर्जुन राय इस बार लालटेन जला सकते हैं। अब अंत में बात करते हैं मधुबनी लोकसभा की यहां राजद प्रत्याशी अली अशरफ फातमी इस बार लालटेन जलाते दिख रहे हैं। वहीं कमल मुरझाते दिख रहा है। भाजपा मधुबनी को सबसे सेफ सीट मानकर चल रही थी लेकिन मधुबनी में मामला पूरी तरह फंस गया है। कारण है कि सांसद अशोक यादव से लोगों की नाराजगी मतदान के समय तक दूर न हो सकी । वहीं यहां इस बार न तो हिन्दू मुस्लिम हो सका और न यादव मतदाताओं का बड़ा बिखराव हुआ। इतना नहीं अमित शाह का हिन्दू मुस्लिम कार्ड खेलना अशोक यादव को काम नहीं आ सका । कोशिश तो बहुत हुई लेकिन मतदाताओं पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा। मधुबनी में ऐसा पहली बार हुआ है कि भाजपा की कोई रणनीति काम नहीं किया है। अली असरफ फातमी को इस बार मधुबनी के मतदाताओं ने जी भरकर वोट कर दिया है। भाजपा प्रत्याशी मधुबनी में पिछड़ते नजर आ रहे हैं। अगर महिला मतदाता कोई चमत्कार कर दे तो परिणाम बदल भी सकता है नहीं तो मधुबनी में भाजपा की नैया इस बार डूब सकती है।होगा क्या यह तो चार जून को पता चलेगा लेकिन पांचवें चरण में एनडीए महागठबंधन से पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है।यह तो मात्र मतदाताओं पर आधारित आंकलन है जो गलत भी हो सकता है।