पटना | बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर जदयू के वरिष्ठ मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव ने जो बयान दिए हैं इसके कई मायने हैं। उन्होंने स्पष्ट तौर पर अपने वयान के माध्यम से इंडिया गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व को संकेत दे दिया है कि जदयू बिहार में सभी जीते हुए सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
इन सीटों को छोड़कर सीट सेयरिग की बात की जाय। मतलब साफ है कि जदयू बिहार में 16 सीटों जहां जदयू के सिटिंग एम पी हैं इसमें कोई समझौता गठबंधन के साथियों के साथ नहीं करने जा रही है। इससे पूर्व मंत्री संजय झा ने भी कहा है कि हमारा गठबंधन तो राजद के साथ है हमें तो सीटों को लेकर सिर्फ राजद से बात करनी है। कांग्रेस और लेफ्ट का गठबंधन तो राजद के साथ है इन दलों को राजद से बात करनी होगी । बिहार में इंडिया गठबंधन के साथी कौन कितने सीटों पर लड़ेंगे ये फैसला उन लोगों को करना है। हालांकि मंत्री विजेन्द्र यादव ने यह भी कहा है कि गठबंधन में कुछ सीटों का अदला बदली होता है। इधर राजनीतिक गलियारों में जो चर्चा है इसमें कहा जा रहा है कि जब से नीतीश कुमार जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं भाजपा चुप्पी साध ली है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कोई बड़े नेता किसी तरह का वयान देने से बच रहे हैं।
खासकर सुशील मोदी जो रोज नीतीश कुमार के खिलाफ आग उगलते थे वे चुप हैं। भाजपा के सभी बड़े नेता नीतीश कुमार को लेकर नरम पड़ गये हैं। नीतीश कुमार और इनके वरिष्ठ मंत्री भी दिल्ली से लौटने के बाद भाजपा के खिलाफ वयान देने से बच रहे हैं। ऐसा अचानक क्या हो गया है कि दोनों दल जदयू और भाजपा एक दुसरे के उपर वयान देने से बच रही है। राजनीतिक पंडित बताते हैं कि खरमास के बाद नीतीश कुमार फिर एक बार बिहार में बड़ा खेला कर बिहार के लोगों को चौंका सकते हैं भाजपा और नीतीश के बीच खिचड़ी पक रही है। ललन सिंह इसमें सबसे बड़े बाधक थे जिन्हें रास्ता से अलग कर दिया गया है। नीतीश की भाजपा के साथ हो रही डील की भनक इंडिया गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व को लग गई तो राहुल गांधी स्वयं नीतीश के सम्पर्क में आ गये और उनसे बातें की। इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार को लेकर हलचल की स्थिति उत्पन्न हो गई है और इन्हें गठबंधन में बड़ा पद देने की बात उठने लगी है। इधर नीतीश कुमार के साथ जो जदयू के बड़े मंत्री और नेता हैं उनमें से अधिकतर भाजपा के साथ गठबंधन चाहते हैं। विजेन्द्र यादव और ललन सिंह जरुर इस फैसले के खिलाफ थे। लेकिन ललन सिंह को रास्ते से अलग कर दिया गया और मंत्री विजेन्द्र यादव को मनाने की कवायद जारी है जैसा कि नहीं राजनीतिक गलियारों में चर्चा है।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि प्रधानमंत्री मंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने नीतीश कुमार को मना लिया है। क्या है हकीकत ये कोई नहीं जानता लेकिन भाजपा जदयू के बीच कुछ न कुछ खिचड़ी जरुर पक रही है। थोड़ा और इंतजार कर लें बिहार में खरमास के बाद कोई बड़ा खेला हो सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति को समझना सबके बस की बात नहीं है। नीतीश ने भाजपा और इंडिया गठबंधन खासकर राजद और कांग्रेस को अपनी राजनीतिक चाल से एहसास करा दिया है कि जदयू कम सीटों बाली पाटीं बिहार में जरुर है लेकिन बिहार की राजनीति नीतीश के बिना आसान नहीं है।