5 सितंबर, 2024: शिक्षक दिवस के अवसर पर ब्रिटिश लिंग्वा में आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध शिक्षाविद् और लेखक डॉ. बीरबल झा ने कहा कि प्रत्येक शिक्षक का दायित्व है कि वह अपने छात्रों को विषय में निपुण बनाए, न कि सिर्फ परीक्षा पास करने पर केंद्रित रहे। शिक्षा का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहयोग करना होना चाहिए।
डॉ. झा ने आगे कहा कि शिक्षण कार्य दुनिया का सबसे पवित्र कार्य है। सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन के शब्दों में, “इंजीनियर की गलती ईंटों में दब जाती है, वकील की गलती फाइल में छिप जाती है, डॉक्टर की गलती श्मशान में दफन होती है, लेकिन शिक्षक की गलती सदा के लिए ब्रह्माण्ड में टिमटिमाती रहती है।” इसलिए शिक्षकों को अपने दायित्व को गहराई से समझना चाहिए, क्योंकि उनका प्रभाव कई पीढ़ियों पर पड़ता है।
डॉ. झा ने यह भी कहा कि एक शिक्षक का मार्गदर्शन किसी के जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है। उन्हें छात्रों को हर कार्य के मूल सिद्धांतों को सिखाने का प्रयास करना चाहिए। आज के समय में छात्रों को आत्मनिर्भरता की शिक्षा देना महत्वपूर्ण है। “एक दिन के लिए भोजन देना बेहतर है या जीवनभर के लिए मछली पकड़ना सिखाना?” यह कहावत आत्मनिर्भरता की ओर इशारा करती है।
डॉ. झा ने शिक्षकों को छात्रों को हर क्षेत्र में सफल होने के तरीके सिखाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हर कार्य में तरकीबें होती हैं, और छात्रों को पेशेवर कौशल और तकनीकों को सीखने की आवश्यकता होती है ताकि वे अधिक प्रभावी तरीके से अपने कार्यों को अंजाम दे सकें।
अनुभव की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. झा ने कहा कि अनुभव सबसे बड़ा शिक्षक है। कठिनाइयों का सामना करने वाले व्यक्ति अधिक परिपक्व और समझदार बनते हैं। हर व्यक्ति में सुधार की गुंजाइश होती है, और हमें निरंतर अपने आप को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए।
अंत में, उन्होंने कहा कि असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे सीखने और अपने प्रयासों को सुधारने का एक अवसर मानना चाहिए।