कुमार हर्षवर्धन | फ्रंट लाइन डेस्क
खुद को बनाए रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं नीतीश कुमार। जिस तरह नरेंद्र मोदी कब क्या कर दे, इसका आकलन आज तक कोई सियासी पंडित नहीं कर सका है। ठीक उसी तर्ज पर नीतीश कुमार भी चलते है। हालांकि इस मामले में नीतीश मोदी से वरिष्ठ ही हैं। तो एक तरफ जहां नीतीश कुमार के संभावित कोई अप्रत्याशित कदम को लेकर इनकी पार्टी से लेकर देश भर के सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार गर्म है। इस बीच खबर मिली है की जदयू के 11 विधायकों ने गुप्त रूप से अलग बैठक की है।
सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार की सारी कवायद पार्टी बचाने और खुद को स्थापित किए रहने के लिए ही है। नीतीश कुमार जानते हैं कि खतरा भाजपा और राजद दोनों ही ओर से है। सूत्रों के मुताबिक पटना में जदयू के 11 विधायकों की एक गोपनीय बैठक हुई, जिसकी जानकारी नीतीश कुमार को भी हो गई। कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में पार्टी के एक वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हु। यही कारण है कि गुरुवार 28 दिसंबर को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली पहुंच रहे हैं। यहां वह पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। सवाल यह है कि नीतीश कुमार पार्टी को बचाने के लिए क्या ऐलान करने वाले हैं। इससे तय है कि इससे विपक्षी गठबंधन में बड़ी दरार पड़ेगी या फिर बिहार के सियासी समीकरण बदल जाएंगे।
इसके पहले भी नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह की बीजेपी के साथ साठगांठ के चलते पर कतरे थे। अब पार्टी के अंदर और बाहर ललन सिंह पर राजद के साथ ज्यादा हमदर्दी रखने की चर्चाएं हैं।